महाभारत से क्या सीख मिलती है.
महाभारत से क्या सीख मिलती है। महाभारत एक महान ग्रन्थ है जो हमें जीवन के सभी रुपों की झलक दिखाता है। ये ग्रन्थ परिवार, समाज, राज्य, धर्म और नीति से जुड़ा पाठ पढ़ाता है और वर्तमान समय में भी जीवन को सही तरीके से जीने और सही निर्णय लेने में ये ग्रन्थ सहायक हो सकता है। इसके लिए जरुरी है कि हम इस ग्रन्थ से कुछ जरुरी सीख लें ताकि हमारा जीवन सरल और सुगम बन सकें। ऐसे में आज महाभारत से कुछ ख़ास सीख लेते हैं। तो चलिए, जानते हैं महाभारत से मिलने वाली सीख के बारे में।
महाभारत से क्या सीख मिलती है?
अपनी संगत पर ध्यान दें :- महाभारत में दुर्योधन को उसके मामा शकुनि की ग़लत संगत मिली जिसने उसका पतन कर दिया। ऐसे ही जीवन में अगर आप की संगत सही होगी तो आपका जीवन सुधर जाएगा और अगर आप बुरी संगत का चुनाव करेंगे तो दुर्योधन की तरह पतन निश्चित है।
जीवन में सही रणनीति का महत्त्व है :- श्रीकृष्ण की रणनीति ने ही पांडवों को महाभारत युद्ध में जीत दिलाई थी क्योंकि उनके पास एक स्पष्ट रणनीति थी। इसी प्रकार जीवन में किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए सही रणनीति का होना जरुरी है, जिसके अभाव में जीवन अंधकारमय हो सकता है।
सोच – समझकर बोलना चाहिए :- महाभारत युद्ध में द्रौपदी द्वारा कहा गया ये कथन ‘अंधे का पुत्र अँधा’, महाभारत के युद्ध का एक प्रमुख कारण बना और इसके बाद परिवार, समाज और राष्ट्र का पतन होता चला गया। इसलिए ये जरुरी है कि अपने विचार रखने से पहले सोचा जाये कि कहीं मेरे शब्दों से कोई आहत तो नहीं हो जाएगा।
बुरे शौक मत पालो :- मनोरंजन के रुप में शुरू हुए चौसर के खेल में पांडवों को अपना सबकुछ गंवाना पड़ा। यहाँ तक कि उन्होंने अपनी पत्नी द्रोपदी को भी दांव पर लगाकर सारी मर्यादा भंग कर दी। इसलिए ये जरुरी है कि इस तरह के शौक रखे ही ना जाएं जो आज नहीं तो कल व्यक्ति को बर्बाद करने वाले हों।
सच्चे दोस्तों पर यकीन करो :- हर किसी पर संदेह करके जीवन नहीं जिया जा सकता, खासकर ऐसे सच्चे दोस्तों पर, जो सही राह दिखाएँ और पतन से बचाएं। महाभारत में पांडवों ने अपने मित्र श्रीकृष्ण की हर बात पर अमल किया और विजयी हुए जबकि दुर्योधन ने कर्ण को सिर्फ एक योद्धा समझा और उसके उचित प्रस्तावों को ठुकराकर अपनी मृत्यु के नजदीक पहुँच गया।
अति भावुकता से बचना चाहिए :- धृतराष्ट्र अपने पुत्रों के लिए बहुत ज्यादा भावुक थे और इस पुत्र मोह में वो सही – गलत का भेद ही भूल गए जिसके दुष्परिणाम महाभारत युद्ध में नज़र आए इसलिए किसी भी सम्बन्ध में अति भावुकता से बचना जरुरी है।